Wednesday, April 7, 2010

RTE-- हकीक़त या ख्वाब

हमारी सरकार ने 1 april से एक नया कानून RTE लागू कर दिया,जिसका मतलब है, शिक्षा पर अब सब का अधिकार है|सरकार की माने तो 6-14 साल तक के सभी बच्चे अब शिक्षित होंगे|मतलब ये की अब कोई भी बच्चा अशिक्षित नहीं रहेगा|पर यहाँ पर एक बड़ा सवाल उठता है, की क्या हकीक़त में हमारा ये ख्वाब पूरा होगा?आंकड़ो पर नज़र डाले तो शायद नहीं- कैसे ये हम आपको बताते हैं|
भारत में लगभग 19 million बच्चे हैं, जिनकी आयु 6-14 साल के बीच है, जिनमे से अभी 8 million बच्चे स्कूल जाते ही नहीं, बाकि जो बचे उनमे से 25% पांचवी और 50% किसी न किसी कारण वश आंठ्वी क्लास के बाद स्कूल नहीं जा पाते|
भारत में कुल 510,000 टीचरों की कमी है, 120,000 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जिनमे सिर्फ एक ही टीचर है|और सबसे खास बात RTE के लिए अगले पांच सालों में 1.78 lakh crore रुपये की जरुरत पड़ेगी और ये धन कहाँ से इकठ्ठा होगा इस पर भी एक सवालिया निशान लगा हुआ है.
सरकार ने जो कानून बनाया वो बिल्कुल काबिले तारीफ है|लेकिन क्या सरकार सारी बुनियादी ज़रूरतें पूरी कर पायेगी? “Partha De, school education minister of Bengal” की बातों पे यकीन करें तो शायद नहीं क्योकि वो कहते है की हमारे पास इतने पैसे ही नहीं हैं|
दूसरी तरफ सरकार ने हर प्राइवेट स्कूल में 25% सीटें गरीब बच्चों के लिए निर्धारित कर दी हैं, जिसपर अलग बवाल मचा हुआ है,क्योंकि प्राइवेट स्कूल के मालिकों का कहना है की इससे उन पर पैसों का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और वे इसे वहन करने की स्थिति में नहीं हैं|ऐसे में ये कह पाना बहुत मुश्किल है की ये कानून सफल हो पायेगा भी या नहीं?
लेकिन इन सारी अटकलों के बीच ये हमारी दुआ है की ये कानून सफल हो और हर बच्चे को शिक्षा का समान औसर मिले, क्योंकि ये कल के भारत का भविष्य हैं इन्ही में से कल कोई engineer तो कोई doctor, कोई IAS तो कोई politician बनकर देश को बुलंदियों की ऊँचाई पर ले जाएँगे|

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