Saturday, February 13, 2010

क्या पाकिस्तानी प्लयेर को न खिलाने से आतंकवाद पर कोई असर पड़ेगा-

इन दिनों क्रिकेट के गलियारों में IPL एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है,क्योंकि जिस तरह से सारी टीमो ने पाकिस्तानी प्लायेरों को दरकिनार किया है, उससे पुरे देश में हलचल मची हुई है|IPL के कर्ताधर्ता ललित मोदी ने किसी भी साजिश का खंडन करते हुए कहा की टीमो ने किसी सरकारी या अन्य दबाव में पाकिस्तानी खिलाडियों को ठुकराने का निर्णय नहीं लिया है,पर पाकिस्तानी खिलाडियों को न चुनने का आधार भले ही कोई साजिश या दबाव न रहा हो,पर एक बात तो साफ़ है कि इसका आधार क्रिकेट भी नहीं है|
आईडिया सरकारी या गैरसरकारी जो भी हो लेकिन यह भारतीय क्रिकेट की साख को धुंधला करने वाला है|अगर हम ये सोचते हैं,कि इस तरह करने से पाकिस्तान में हो रही आतंकवादी गतिविधियाँ दण्डित होगी,तो ऐसा बिलकुल नहीं है,क्योंकि कोई भी पाकिस्तानी प्लयेर आतंकवादी नहीं है,और न ही उसका आतंकवाद से कोई लेना देना है|मुंबई में कत्लेआम को अंजाम देने लश्कर जैसा आतंकवादी संगठन आया था|जिसका क्रिकेटरों को दण्डित करने से बाल भी बाका नहीं होता,जबकि कौमी अपमान की भावना जेहादी ज़हर से अछूते कुछ पाकिस्तानियों को भी आतंकी खेमे में धकेल सकती हैं|पाकिस्तान में बसा आतंकी समुदाय निर्दोष क्रिकटरों पर कूटनीतिक प्रहार करने से नहीं मरेगा|अगर हमे आतंकवाद को मिटाना है,तो हमे आतंकवादी तंत्र को पाकिस्तानी आवाम और अंतरास्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग करना होगा और इस तरह से ही हम आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगा सकते हैं|
खेल को खेल ही रखिये इसे जंग मत समझिए,नही तो न जंग जीत पाएंगे और न ही अमन|

Tuesday, February 2, 2010

अमर सिंह-- चर्चा में रहने कि आदत

27jan, 1957में अलीगढ के एक मध्य वर्गी परिवार में पैदा हुए अमर सिंह,राजनीति से जुड़े उन लोगों में हैं,जिन्हें शायद चर्चा में रहने की आदत है|शायद यही कारण है कि नेताजी किन्ही न किन्ही वजहों से चर्चा में बने रहते हैं|
अमर सिंह ने अपना राजनीतिक सफ़र कांग्रेस से शुरू किया,शुरू में वे कोलकाता के बड़ा बाज़ार जिले के कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने और वहीँ से उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से संपर्क साधना शुरू किया और वहीँ से उन्होंने धीरे-धीरे अपनी परिवारिक वित्तीय स्थिति को भी सुधरा|80 के दशक मे अमर सिंह ने क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के चुनाव में माधोराव सिंधिया का सपोर्ट किया और उन्हें जितवाया भी,इस क़र्ज़ को सिंधिया ने भी चुकाया और उन्हें राजीव गाँधी से मिलवाकर अखिल भारतीय कमेटी का सदस्य बनवा दिया|नेता जी 1996 तक एक बड़े के नेता के रूप में उभर कर सामने आ चुके थे|
अमर सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्मंत्री वीर बहादुर से भी संपर्क साधा और उन्ही के मुख्मंत्री के कार्यकाल में विपक्ष के नेता मुलायम से भी अपना रिश्ता जोड लिया|मुलायम सिंह ने मुख्मंत्री बनने के बाद अमर को सहारा दिया और उन्हें सहारा इंडिया परिवार और कई अन्य बड़े संस्थानों का डारेक्टर बना दिया|
राजनीत का इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि,अमर सिंह को किसी बात,किसी राजनेता या किसी भी प्रकार का कोई कम करने से कोई परहेज नहीं रहा है|शायद यही कारण है,कि बटला हाउस encounter में शहीद हुए पुलिस अधिकारी मोहनचंद शर्मा को उनकी जाबांजी के लिए 10 लाख रुपये देकर चर्चित हुए,लेकिन उसी अधिकारी की शहादत पर सवाल उठाते हुए CBI जांच की भी मांग कर डाली|ये वही अमर सिंह जी ही थे जिन्होंने CD कांड को लेकर जयापर्दा की आँखों से आंसू निकलवा दिए|जयापर्दा के नग्न फोटो जारी हुए और आजम खान को बदनामी उठानी पड़ी|उस वक़्त भी नेता जी ने खूब चर्चा बटोरी थी|ये अमर सिंह ही थे जिन्होंने पिछले साल एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए यह कहकर भूचाल खड़ा कर दिया था कि वो अपने स्वास्थ के हित के कारण राजनीत से अलग होने जा रहे हैं|
2004 में,मनमोहन सिंह जी के प्रधानमंत्री बनने पर,सोनिया गाँधी द्वारा आयोजित एक रात्रि भोज में अमर सिंह नेता अजीत सिंह को लेकर बिन बुलाए उस रात्रि भोज में पहुँच गए वहां सोनिया गाँधी ने उन्हें पूंछा तक नहीं तो,वापस आकर सोनिया गाँधी को खूब बुरा भला कहा|लेकिन 22 july 2008 को लोक सभा में सोनिया गाँधी का साथ उस वक़्त देते नज़र आये,जब nuclear deal के मुददे पर वाम दलों ने कांग्रेस से अपना सपोर्ट वापस ले लिया था|आरोप-प्रत्यारोप का तो अमर सिंह का जैसे गहरा रिश्ता है,उन्होंने उत्तर प्रदेश की मुख्मंत्री मायावती पर भी अपनी पार्टी के 6 सांसदों के अपहरण का आरोप लगाकर भी खूब सुर्खियाँ बटोरी और कमाल की बात बाद में उन्ही सांसदों को अपनी पार्टी से निकलवा दिया|अमर सिंह,ऐश्वर्या और अभिषेक की शादी को लेकर भी चर्चा में रहे|ऐश्वर्या पर कालसर्प योग बताया गया,तो अमर सिंह उन्हें सपरिवार विद्यांचल देवी के मंदिर ले गए और वहां उनकी पूजा करवाई|
आजकल अमर सिंह अपने त्यागपत्र को लेकर चर्चा में हैं,पर यह पहली दफा नहीं जब अमर सिंह ने त्यागपत्र दिया है,इससे पहले भी उन्होंने त्यागपत्र दिया है|लेकिन मुलायम के मानाने पर मान भी गए|अब इस बार देखना है कि वो वापस पार्टी में आएँगे की नहीं